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कसूर किसका ?

हमे माफ़ करें , हम ये शादी नही कर सकते क्यूँ की लडके को गोरी लड़की चाहिए , मम्मी मुझे वो लड़का पसंद नही है क्यूँ की वो काला है  वैसे आपकी लड़की हर काम कर लेती है थोडा उसका रंग साफ होता तो शायद में आपकी उस घर में बात करवा देता , ढेर सारी  fairness cream  लगाई  लेकिन भाई मेरे से एक भी नही पटी ,,,,,,,,,,, ये सब तब की बातें है जब किसी लड़की या लडके का रिश्ता होने वाला होता है कोई लड़का या लड़की कितनी भी योग्यता रखते हों , यदि उसका रंग काला है या सावला है तो कभी कभी उसके  परिवारीजन और  वो   खुद सोचने को मजबूर हो जाते है की क्या करना चाहिए , क्या ये लड़का हमारी बेटी के लिए ठीक रहेगा या फिर क्या ये लड़की हमारी बहु बनाने के काबिल है , उस टाइम पे उसकी कितनी भी योग्यता हो वो बेचारे की धरी धरी रह जाती है   जब ऐसा दृश्य  सामने आता है तो सोचने को मजबूर होना पड़ता है की रंग और रूप तो प्रकृति (भगवान ) की देन  है उसमे उस बेचारे का क्या दोष है   ...

कोई विशेष नही ,,,,,,,,,,,,

अभी हाल ही में भारतीय क्रिकेट टीम में जो चल रहा था , वो सच में एक सोचने का विषय था ,ऑस्ट्रेलिया की मीडिया ने बताया की भारतीय कप्तान और उप -कप्तान के बीच शीत युद्ध चल रहा है , इस युद्ध को देख के मुझे अपनी पाठ्यपुस्तक बाल भारती की एक कहानी सुई धागा और मशीन याद आती है ,मुझे उस लेखक का नाम तो याद नही है जिसने सुई धागा और मशीन कहानी लिखी है लेकिन उनकी कहानी आज भारतीय टीम के ऊपर पूरी तरह से सही जचती है , एक टीम भी एक तंत्र है और यदि तंत्र का कोई भी अंग सही से काम नही करता है तो वो तंत्र सही से काम नही करता है और धीरे धीरे नष्ट हो जाता है , और यही बात टीम के ऊपर कही जाये तो यदि टीम के सदस्य अपने आप को सर्वश्रेष्ठ समझाने लगे तो उस टीम की हार निश्चित है और ऐसा हुआ भी ,ये सच है की भारतीय कप्तान और उपकप्तान अपने क्षेत्र में अद्वितीय है दोनों के नाम कई बड़े रिकॉर्ड है , लेकिन कभी उन्हें ये नही सोचना चाहिए की में हूँ तो टीम है नही तो इस ...

नव वर्ष नव संकल्प

नव वर्ष की शुभकामनाएं मेरे सभी मित्रों और मेरे visitors को , नए साल की शुरू आत पर हर व्यक्ति हर जीव और एक राष्ट्र में नयी ऊर्जा का संचार होता है और जब नयी ऊर्जा का संचार होता है ब्यक्ति कुछ नया करने का और नयी सोच और एक संकल्प का उदय होता है ,यदि ब्यक्ति की बात करें तो में ही वो ब्यक्ति हो सकता हूँ , तो में इस वर्ष ज्यादा से ज्यादा ब्लॉग लिखने का प्रयास करूँगा और ज्यादा से ज्यादा प्रभावी और में जो लिखूंगा उस पर अमल करने का भी प्रयास करूँगा ,और यदि राष्ट्र की बात करें तो किसी देश का भला तभी हो सकता है जब उसके नागरिको को संकल्प लेना चाहिए कि जो भूले , गलतियाँ हुई है , वो इस आने वाले समय में वो न हों ,२०११ को देखा जाय तो पूरी तरह भ्रष्टाचार वर्ष के रूप में देखा जाये तो कोई अतिश्योक्ति नही होगी क्यूँ कि जब घोटालो कि खबर पता चलती तो ये लगता कि जैसे राजनीती के मैदान के खिलाडी एक दुसरे का रिकॉर्ड तोड़ रहे हों ,और एक दुसरे से कह रहे हों कि ...

लोग क्या कहेंगे ?

लाइफ एक रेस है तेज नही भागोगे तो कोई तुम्हे कुचल के आगे निकल जायेगा " 3idiot आज के इस प्रतियोगी युग में हर ब्यक्ति यही सोचता है और आगे बिना सोचे समझे , बिना चाहे , या चाहे दोड़ता जा रहा है ! हर कोई नम्बर के पीछे भाग रहा , कोई कम नंबर आने पर रो रहा है , कोई कुर्सी पर अपना नंबर लगा रहा है ऐसा लगता है कि दुनिया बस नंबर के लिए ही बनी है आज के परिवेश में हर तरफ नंबर की मारामारी है मैं एक सामान्य परिवार से हूँ और में पढ़ा लिखा हूँ लेकिन कुछ मजबूरियों और परिस्थितियों के कारण में अपना अध्ययन आगे नही बड़ा सका , मेरा सपना था कि में एक डॉक्टर बनू लेकिन में नही बन पाया , आज में चाहता हूँ कि मेरा बच्चा डॉक्टर बने , अब ये जरुरी नही कि बच्चा डॉक्टर बनाना चाहता है कि नही , ये तो सिर्फ उदहारण(example ) है ज्यादातर माता पिता कुछ इस तरह ही सोचते हैं कि उनका लड़का या लड़की जो वो नही कर पाए वो करे या उनके पडोसी या फिर रिश्तेदार जैसा बने ! बहुत कम माँ बाप अपने बच्चों के के पसंदीदा विषय के बारे में पूछते है नहीं वो लोग कभी उनकी रुचियों (hobbies)और शौक के बारे में गौर करते है नही सोचत...

बादशाह से "इक्का" बड़ा होता है

तांश के खेलो में ज्यादातर महत्त्व बादशाह का होता है लेकिन कुछ खेल ऐसे है जिनमे बादशाह सिर्फ बादशाह ही रहता है अधिकार होते हुए भी वो अपने अधिकार के बिना रहता है कुछ तांश के खेलो में बादशाह से ज्यादा इक्के का महत्त्व होता है , इस समय पर बादशाह कितना भी योग्य ,कितना भी होशियार हो , कितना भी इमानदार हो ,कितना भी बहादुर लेकिन उसे इक्के से कमजोर माना जाता है और ऐसे में बादशाह को सिर्फ बादशाह ही कहा जाता है लेकिन वो चलता तो इक्के के इशारे पर ही है और इक्का चाहे जितना अयोग्य हो , असंस्कारित हो ,जिसे ये भी नही पता हो कि क्या सही है क्या सही नही, लेकिन वो अपनी धूर्तता और ताकत के कारण एक योग्य बादशाह को अपनी उँगलियों पर नचाता है उस में देश को सिर्फ हानी के अलावा कुछ नही मिलता है आज मेरे देश में भी कुछ ऐसा ही है हमारा बादशाह इक्के की पकड़ में कुछ इस तरह फंसा है की वो चाह कर भी कोई निरणय नही ले पाता है यदि कोई बात आती हे तो वो अपने से पहले अपने इक्के से पूछता की हुजुर क्या करना है , फिर इक्का जो बिना योग्यता , और बिना किसी संस्कार वाला है जिसे ये...

एक गुलाब की कहानी

ये कहानी उस (गुलाब)पेड़ की है जो एक ऐसे बगीचे में पैदा हुआ जंहा पर अलग अलग प्रकार के पोधे लगे हुए थे ,जब छोटा था तब से जवानी तक वह पुरे बगीचे का आकर्षण बन के रहा ,और सभी को अपनी और आकर्षित करने की कोशिश करता ,इतराता रहता और बहुत ख़ुशी से उसका जीवन चल रहा था ,और नहीं कभी वह अपने बगल वाले पौधे की खबर लेता की उसके पास वाले पर क्या बीत रही है ,उस का तो सिर्फ इतना था की हवा मैं मस्त झूमते रहना , कुछ दिनों बाद जब उसमे कलियों का आना हुआ उसे अपने भविष्य की चिंता और कलियों की चिंता सताने लगी ;क्यों की कलियों को देख कर विभिन्न प्रकार की मक्खी , और कीट पतंगे और उन कलियों के पास आएँगी ,और जो आकर उसकी कलियों को छेड़ेंगे ,जबकि उसकी कलियाँ तो कुछ और ही सपना देखती होंगी ,जब वो जवान होंगी तो उन्हें कोई जवान सा भवर आकर छेड़ेगा और उनका रस पिएगा , उसे यह चिता इसलिए सताने लगी क्योंकि वह देखता रहता कि उसके वगल वाले पेड़ पर जब कलियाँ जवान होती तो पहले तो उसे वही मक्खी ,कीट और पतंगे छेडते, और कुछ और बड़ी हो ही पाती तो उन्हें माली आकर तोड़ ले जाता , फिर वह सोचने लगा कि जब कलियाँ और बड़ी होंगी तो उसकी कलियों को ...