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कोई विशेष नही ,,,,,,,,,,,,

अभी हाल ही में भारतीय क्रिकेट टीम में जो चल रहा था , वो सच में एक सोचने का विषय था ,ऑस्ट्रेलिया की मीडिया ने बताया की भारतीय कप्तान और उप -कप्तान के बीच शीत युद्ध चल रहा है , इस युद्ध को देख के मुझे अपनी पाठ्यपुस्तक बाल भारती की एक कहानी सुई धागा और मशीन याद आती है ,मुझे उस लेखक का नाम तो याद नही है जिसने सुई धागा और मशीन कहानी लिखी है लेकिन उनकी कहानी आज भारतीय टीम के ऊपर पूरी तरह से सही जचती है , एक टीम भी एक तंत्र है और यदि तंत्र का कोई भी अंग सही से काम नही करता है तो वो तंत्र सही से काम नही करता है और धीरे धीरे नष्ट हो जाता है , और यही बात टीम के ऊपर कही जाये तो यदि टीम के सदस्य अपने आप को सर्वश्रेष्ठ समझाने लगे तो उस टीम की हार निश्चित है और ऐसा हुआ भी ,ये सच है की भारतीय कप्तान और उपकप्तान अपने क्षेत्र में अद्वितीय है दोनों के नाम कई बड़े रिकॉर्ड है , लेकिन कभी उन्हें ये नही सोचना चाहिए की में हूँ तो टीम है नही तो इस टीम का कुछ नही हो सकता है यदि ऐसा किसे टीम के कप्तान और उपकप्तान के दिमाग में हो तो ये सच में उस टीम के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है , ऐसा ही कुछ महाभारत के युद्ध में हुआ था , सिर्फ पांच पांडवों ने उन कौरवों को हराया था जिनके साथ भीष्म , द्रोण, कर्ण , दुर्योधन और कई बलशाली राजा थे जो अपने आप में अद्वितीय थे , लेकिन कौरवो में हर किसी योद्धाको इस बात का घमंड था कि में अकेला ही काफी हूँ जब कि दूसरी तरफ पांडवों में टीम भावना थी , यदि किसी पांडव को लगता था कंहा किसी दुसरे साथी का साथ देना है या कोई कमजोरी को छिपाना है वो टीम भावना के साथ एक दुसरे का सहयोग करते थे
, टीम में हर किसी का अपना योगदान होता है , इसलिए हर टीम के सदस्य को अपनी भूमिका का पता होना चाहिए और भूमिका का पूर्ण ईमानदारी के साथ निर्वहन करने से ही जीत मिलती है किसी भी टीम में कोई विशेष नही होता है ,,,,,,,,,,,,,
दिब्यांग देव शर्मा

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