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बादशाह से "इक्का" बड़ा होता है

तांश के खेलो में ज्यादातर महत्त्व बादशाह का होता है लेकिन कुछ खेल ऐसे है जिनमे बादशाह सिर्फ बादशाह ही रहता है अधिकार होते हुए भी वो अपने अधिकार के बिना रहता है कुछ तांश के खेलो में बादशाह से ज्यादा इक्के का महत्त्व होता है , इस समय पर बादशाह कितना भी योग्य ,कितना भी होशियार हो , कितना भी इमानदार हो ,कितना भी बहादुर लेकिन उसे इक्के से कमजोर माना जाता है और ऐसे में बादशाह को सिर्फ बादशाह ही कहा जाता है लेकिन वो चलता तो इक्के के इशारे पर ही है और इक्का चाहे जितना अयोग्य हो , असंस्कारित हो ,जिसे ये भी नही पता हो कि क्या सही है क्या सही नही, लेकिन वो अपनी धूर्तता और ताकत के कारण एक योग्य बादशाह को अपनी उँगलियों पर नचाता है उस में देश को सिर्फ हानी के अलावा कुछ नही मिलता है आज मेरे देश में भी कुछ ऐसा ही है हमारा बादशाह इक्के की पकड़ में कुछ इस तरह फंसा है की वो चाह कर भी कोई निरणय नही ले पाता है यदि कोई बात आती हे तो वो अपने से पहले अपने इक्के से पूछता की हुजुर क्या करना है , फिर इक्का जो बिना योग्यता , और बिना किसी संस्कार वाला है जिसे ये...